कुण्डली विज्ञान
- ज्योतिष ज्ञान का वैज्ञानिक आधार
- विभिन्न आचार्यो का ज्योतिष परम्परा में सहयोग
- सिद्धान्त ऐवं फ़लित् ज्योतिष मे संबन्ध
ग्रह नक्षत्रराशि परस्पर संबन्ध
- सूर्यादि नौ ग्रह अश्विनी आदि सत्ताईस नक्षत्र ऐवं मेष आदि बारह राशियो मे आन्तरिक संबन्ध
महादशा
- विशोन्तरी महादशा अपरोन्तरी महादशा ऐवं योगनी महादशा द्वारा वर्तमान समय की अनुकूलता ऐवं प्रतिकूलता का गहन विवेचन
पञ्चधामैत्री
- ग्रहों में परस्पर समत्व शत्रुता ऐवं मित्रता होती है|जिसे नैसर्गिक तात्कालिक मैत्री के आधार पर पञ्चधा ग्रह मैत्री से जन जाता है |इस आधार पर जीवन के अत्यधिक सूक्ष्म पक्षों का विचार|
उच्च्नीय विचार
विभिन्न राशियों में सूर्यादि नौ ग्रह उच्च एवं नीच स्थिति में होते है |
यथा-
ग्रह | उच्च | नीच |
---|---|---|
सूर्य | मेष | तुला |
चन्द्र | वृष | वृक्ष्चिक |
मंगल | मकर | कर्क |
बध | कन्या | मीन |
गुरु | कर्क | मकर |
शुक्र | मीन | कन्या |
शनि | तुला | मेष |
विभिन्न द्वादश भावो पर इस आधार पर पड़ने वाले प्रभाव का ज्ञान | द्वादश भाव शारीर ,धन ,सम्बन्धी ,सुख ,पुत्र ,शत्रु ,स्त्री ,मृत्यु ,धर्म ,कर्म ,आय ,व्यय. इन भावों के विषयों पर गहन एवं वैज्ञानिक चिंतनपूर्वक् प्रभाव विश्लेषण|
शं भूयात
पं. रमण मिश्र
मो -९८९३४४४११०